Stories....
स्टोरी- 1
तीन बुजुर्गों ने तय किया कि वह टापू पर जाकर रहेंगे और ईश्वर (God) को याद करेंगें। तीनों बुजुर्गों ने एक नाव की और पहुंच गए टापू पर... टापू पर पहुंचकर तीनों बुजुर्गों ने नाव वाले को वापस भेज दिया और उससे कहा कि अब वह यहीं रहेंगे और हर रोज ईश्वर की उपासना करेंगे... कई साल बीत गए। तीनों बुजुर्ग बस ईश्वर की उपासना (Prayer) में व्यस्त रहते। बहुत सालों के बाद पुजारियों के एक समूह को पता चला कि तीन बुजुर्ग बिना किसी गुरू के जैसे-तैसे ईश्वर की आराधना में लीन है... साधुओं की एक टोली नाव करके उन बुजुर्गों के पास पंहुची और उनको पूजा की सही विधि बताई। तीनों बुजुर्ग बहुत खुश (Happiness) हुए... कि उन्हे किसी ने पूजा की सही विधि बताई। इतना करने के बाद साधुओं (Hermit) की वह टोली नाव करके वहां से चल पड़ी... वो कुछ दूर ही गए होंगे उन्होने देखा कि वो तीनों बुजुर्ग दौड़ते हुए चले आ रहे हैं। उन्हे देखकर साधुओं की टोली हैरान रह गई कि तीनों बुजुर्ग पानी की सतह पर दौड़ रहे हैं। तीनों बुजुर्ग नाव के पास पंहुचकर पानी की सतह पर खड़े हो गए। साधुओं की टोली हैरान होकर उन्हे देख रही थी... फिर उनसे पूछा आप लोगों को क्या चाहिए?. तीनों बुजुर्ग (Elderely) बोले कि आप ने पूजा का जो पाठ पढ़ाया था वह हम भूल गए हैं... कृपया एक बार और बता देंगें.... साधुओं ने उन बुजुर्गों की तरफ देखा और देखते रह गए। उनमें से एक ने कहा पृभू आपको किसी की जरूरत नहीं है... आप जो विधि अपना रहे हैं वही ईश्वर (God) को पाने का सर्वश्रेष्ठ रास्ता है।
स्टोरी- 2
बहुत समय पहले की बात है. एक गावं में एक मूर्तिकार रहता
था. वह ऐसी मूर्ति बनाता था जिन्हे देखकर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का
भ्रम हो जाता था. आस पास के सभी गांव में उसकी प्रसिध्दि थी लोग उसकी मूर्तिकला के
कायल थे. इसलिए उस मूर्तिकार को अपनी कला पर घंमड था. जीवन के इस सफर में एक वक्त
ऐसा भी आया जब उसे लगने लगा कि उसकी मृत्यु होने वाली है. वह ज्यादा समय तक जीवित
नहीं रह पाएगा. उसे जब लगा कि उसकी मृत्यु होने वाली है... तो वह परेशानी में
पड़कर यमदूतों को भ्रमित करने के लिए एक योजना बनाई... उसने ठीक अपने जैसी दस
मूर्तियां बनवाई और खुद उन मूर्तियों के बीच जाकर बैठ गया. यमदूत जब उसे लेने आए
तो एक जैसी 11 आक्रतियों को देखकर दंग रह गए. वह पहचान नहीं पा रहे थे कि इन
मूर्तियों में से असली मनुष्य कौन है. वह सोचने लगे कि अब क्या किया जाए अगर
मूर्तिकार के प्राण नहीं ले सके तो सृष्टि का नियम ही टूट जाएगा और सत्य को परखने
के लिए अगर मूर्तियों को तोड़ा गया तो कला का अपमान हो जाएगा. अचानक से यमदूत को
मानव के सबसे बड़े अवगुण अहंकार को परखने का विचार आया. उसने मूर्तियों को देखते
हुए कहा कि वह सुंदर मूर्तिया बनी हैं लेकिन मूर्तियों में एक गलती है... काश
मूर्तियां बनाने वाला मेरे सामने होता तो मैं उसे बताता कि मूर्ति बनाने में क्या
गलती हुई है.
यह सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा उसने सोंचा मैने अपना
पूरा जीवन मूर्ति बनाने में समर्पित कर दिया... भला मेरी मूर्तियों में गलती कैसे
हो सकती है. तभी वह बोल उठा कैसी गलती?.... झट से यमदूत
ने उसे पकड़ लिया और कहा बस यही गलती कर गए तुम, अपने अंहकार में कि बेजान
मूर्तियां बोला नहीं करती.
“इतिहास गवाह है,
अहंकार ने हमेशा इंसान को परेशानी और दुख के सिवा कुछ नहीं दिया”
स्टोरी- 3
मुन्ना स्कूल की परीक्षा में फेल में हो गया था... बहुत डरते हुए वह घर आया। पिताजी ने मुन्ना से पूछा रिजल्ट कैसा रहा बेटा। मुन्ना ने कहा पिताजी सामने वाले शर्मा अंकल का बेटा फेल हो गया है। पिताजी ने कहा मुन्ना शर्मा जी का बेटा तो आवारा है वो भला कैसे पास हो सकता है बेटा... हां पिताजी और हमारे घर के ऊपर जो जिंकी है वो भी फेल हो गया है... बिल्कुल सही कहा बेटा जिंकी तो दिन भर पतंग उड़ता रहता है भला वो भी कैसे पास होता। पर तुम बताओ तुम्हारा रिजल्ट कैसा रहा बेटा। पिताजी मोनू भी फेल हो गया है... अरे पता है जमाना ही खराब है... पर तुम अपना रिजल्ट तो बताओ। पिताजी मैं जमाने से अलग थोड़े हूं...
दरअसल, जब जमाना ही खराब हो तो किसी को समझाना या कुछ कहना
व्यर्थ के समान है।
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